बिहार का पहला हाइड्रोजन प्लांट: एक नई क्रांति की शुरुआत
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- Mar 7
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बिहार में हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले वाहनों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राज्य का पहला हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट बेतिया जिले के कुमारबाग औद्योगिक क्षेत्र में लगाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। यह एक पायलट प्रोजेक्ट होगा, जिस पर कुल 56 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
मार्च तक पूरी होगी भूमि चयन की प्रक्रिया
बिहार सरकार ने इस प्लांट के लिए एमओयू (समझौता) साइन कर लिया हैऔर भूमि चयन की प्रक्रिया जारी है। मार्च 2025 तक भूमि का चयन पूरा हो जाएगा, जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा, जिससे ईंधन के क्षेत्र में नई संभावनाएं खुलेंगी।
वाल्मीकिनगर तक चलेंगी हाइड्रोजन बसें
इस हाइड्रोजन प्लांट का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे बसों का संचालन किया जाएगा। शुरुआत में दो बसें प्रतिदिन बेतिया जिला मुख्यालय से वाल्मीकिनगर तक चलेंगी। इससे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों को सुविधा मिलेगी और प्रदूषण भी कम होगा।
सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की होड़ लगी हुई है। भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। यही वजह है कि सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर रही है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो आने वाले समय में हाइड्रोजन को मुख्य ईंधन के रूप में अपनाया जा सकता है।
कैसे होगा हाइड्रोजन का उत्पादन?
इस प्रोजेक्ट के तहत एक सोलर प्लांटभी स्थापित किया जाएगा, जिससे हाइड्रोजन गैस का उत्पादन किया जाएगा। इस गैस का उपयोग परिवहन और अन्य क्षेत्रों में किया जाएगा।
सांसद ने यह भी बताया कि पहले इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर काफी उत्साह था, लेकिन डीसीएम (डायरेक्ट करंट मोटर) तकनीक के कारण प्रदूषण की समस्या बनी हुई है। हाइड्रोजन फ्यूल इस समस्या का समाधान हो सकता है।
पर्यावरण को होगा बड़ा फायदा
हाइड्रोजन फ्यूल के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा, जिससे प्रदूषण कम होगा। इससे बिहार में हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को बढ़ावा मिलेगा और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
भविष्य में बढ़ेगा हाइड्रोजन का इस्तेमाल
यह प्रोजेक्ट फिलहाल व्यावसायिक उत्पादन के लिए नहीं है, लेकिन अगर यह सफल रहता है, तो भविष्य में बिहार और देश के अन्य हिस्सों में हाइड्रोजन को मुख्य ईंधन के रूप में अपनाया जा सकता है। इससे ईंधन के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है और भारत ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है। बिहार में हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट का निर्माण एक ऐतिहासिक कदम है। यह प्रोजेक्ट पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा और भविष्य की परिवहन व्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले वर्षों में हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग बढ़ सकता है, जिससे बिहार और पूरे देश को फायदा होगा।






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