top of page

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सियासी जंग

  • Writer: BMW News
    BMW News
  • Mar 6
  • 4 min read


ree

बिहार की राजनीति में इन दिनों बड़ा हंगामा मचा हुआ है, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच बढ़ते तनाव को लेकर। पिछले कुछ दिनों में ऐसा वाकयुद्ध हुआ है, जिससे बिहार की राजनीति में कई नई स्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच शब्दों की तकरार इतनी बढ़ गई है कि अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या दोनों के बीच भविष्य में कोई गठबंधन संभव है या नहीं?बिहार विधानसभा में हाल ही में हुए एक सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला। नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को ‘बच्चा’ तक कह डाला। उन्होंने सदन में कहा, “तुम बच्चे हो, ये कब पैदा हुआ, लालू यादव को हमने नेता बनाया।” यह बयान तेजस्वी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। नीतीश कुमार ने इस बयान के जरिए यह स्पष्ट किया कि वह तेजस्वी को खुद से काफी छोटा मानते हैं और उनका राजनीति में योगदान सीमित है।नीतीश कुमार के इस बयान के बाद तेजस्वी यादव ने भी चुप रहना मुनासिब नहीं समझा। अगले दिन तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के नेता बनने से पहले ही लालू यादव दो बार विधायक और एक बार सांसद बन चुके थे। और, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने में भी लालू यादव का हाथ था।” यह शब्दों की जंग अब एक व्यक्तिगत लड़ाई में बदल चुकी थी, जिसमें दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया।


लालू और नीतीश के बीच तल्खी


इस सियासी घमासान से यह साफ हो गया कि नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच अब कोई सुलह संभव नहीं दिखती। हालांकि, तेजस्वी यादव जो कुछ भी बोल रहे हैं, वह बिना लालू यादव की सहमति के नहीं बोल सकते। इसने यह साबित कर दिया कि तेजस्वी के बयान भी उनकी राजनीतिक विरासत और उनके पिता के समर्थन पर आधारित हैं। इस जुबानी जंग ने बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है, जिसमें दोनों नेताओं के बीच बढ़ती तल्खी को महसूस किया जा सकता है।


क्या नीतीश कुमार के पलटने की गुंजाइश खत्म हो गई है?


नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर में यह कोई नई बात नहीं है कि वह बार-बार अपनी राजनीतिक पार्टनियों और गठबंधनों को बदलते आए हैं। उन्होंने कई बार अपनी राजनीति को नए तरीके से मोड़ा है। पहले वह बीजेपी के खिलाफ थे, फिर उन्होंने महागठबंधन में शामिल होकर अपनी राजनीति को नया दिशा दी। लेकिन, अब जो स्थिति बन रही है, उससे यह प्रतीत हो रहा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच किसी तरह की साझेदारी की संभावना लगभग खत्म हो गई है।जब से प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार को ‘लाडला मुख्यमंत्री’ कहा है, तब से नीतीश और तेजस्वी के रिश्ते और भी खराब हो गए हैं। नीतीश कुमार ने कई बार यह कहा है कि वह बीजेपी के साथ हैं, और अब यह स्थिति इस हद तक बढ़ चुकी है कि तेजस्वी के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं बची है।


तेजस्वी यादव की कांग्रेस से उम्मीद


अब, जब नीतीश कुमार ने अपनी स्थिति साफ कर दी है, तो तेजस्वी यादव को कांग्रेस से उम्मीद है। कांग्रेस, जो खुद को सशक्त रूप से बिहार में स्थापित करने की कोशिश कर रही है, अब तेजस्वी के लिए एक विकल्प हो सकती है। अगर कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीटों का बंटवारा सही तरीके से होता है, तो तेजस्वी के लिए चुनावी मैदान में मजबूती आ सकती है। हालांकि, कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा है कि वह सीटों के बंटवारे में अपनी मांग पूरी करेगी और एक सम्मानजनक हिस्सेदारी चाहेगी।


क्या कांग्रेस और तेजस्वी का गठबंधन मुमकिन है?


तेजस्वी यादव के लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है। अगर वह कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने का मौका देते हैं, तो यह एक जोखिम हो सकता है, क्योंकि बिहार में कांग्रेस का हाल बहुत अच्छा नहीं है। अगर कांग्रेस अलग चुनाव लड़े, तो उसके परिणाम तेजस्वी के पक्ष में नहीं आएंगे। इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनाव का उदाहरण भी सामने है, जहां कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा, तो उसकी स्थिति तो खराब रही, लेकिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ और वह चुनाव जीत गए। ऐसे में तेजस्वी यादव को अपनी रणनीति पर गंभीरता से विचार करना होगा, क्योंकि कांग्रेस के साथ समझौता करने से उनके लिए राजनीतिक स्थिति मजबूत हो सकती है।


नीतीश कुमार का अंतिम निर्णय


नीतीश कुमार की राजनीति में हमेशा कुछ नया करने की संभावना बनी रहती है। वह किसी भी वक्त पलट सकते हैं, और यह कोई नई बात नहीं होगी। उन्होंने पहले भी समय-समय पर अपना गठबंधन बदला है और राजनीतिक माहौल के अनुसार अपनी दिशा तय की है। हालांकि, फिलहाल ऐसा प्रतीत होता है कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी के साथ जाने की संभावना को खत्म कर दिया है। लेकिन बिहार की राजनीति में क्या होगा, यह अभी कहना मुश्किल है। नीतीश कुमार ने जो कदम अब तक उठाए हैं, उनसे यह साफ हो गया है कि वह किसी भी सूरत में अपनी राजनीति को बदलने के लिए तैयार हैं।बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव 2025 की स्थिति अब काफी बदल चुकी है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच का टकराव और कांग्रेस का दखल इस बार के चुनाव को और भी रोचक बना देगा। बिहार की राजनीति में यह समय महत्वपूर्ण है, जहां कोई भी पार्टी अपनी रणनीति को सख्त तरीके से तय कर सकती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की राजनीति में कौन सा नया मोड़ आता है।

Comments


bottom of page