वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 लोकसभा में पारित, विपक्ष ने जताई आपत्ति
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- Apr 4
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वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 हाल ही में लोकसभा में पारित किया गया है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रस्ताव करता है। विधेयक के अनुसार, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। पहले इन संस्थाओं में केवल मुस्लिम सदस्य होते थे, लेकिन अब गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई है। उदाहरण के लिए, केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 में से 12 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से 7 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वेक्षण आयुक्त की जगह कलेक्टर या उनके द्वारा नामित किसी अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण प्रक्रिया को एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से सुव्यवस्थित किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति केवल अपनी स्वामित्व वाली संपत्ति को ही वक्फ के रूप में घोषित कर सकता है। इससे निजी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और बिना स्वामित्व के किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की प्रथा समाप्त होगी।
हालांकि, इस विधेयक का विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों द्वारा विरोध किया गया है। उनका मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर कर सकता है और धार्मिक स्थलों की जब्ती का खतरा बढ़ा सकता है। विपक्ष का यह भी कहना है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, जो समानता के अधिकार की बात करता है।
विधेयक लोकसभा में 288 मतों के समर्थन और 232 मतों के विरोध के साथ पारित हुआ। अब इसे राज्यसभा में पेश किया गया है, जहां इस पर आगे की चर्चा होगी।
विधेयक के समर्थकों का कहना है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगा, जबकि विरोधियों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्यसभा में इस पर क्या निर्णय लिया जाता है और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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