"लालू यादव सारे प्रोजेक्ट बिहार ले जाते थे" – संसद में बोले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
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- Apr 4
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“जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, तब सारे प्रोजेक्ट बिहार ले जाते थे। सारे कारखाने वहीं ले जाना चाहते थे और ले भी गए।”
यह बात संसद में खुद वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कही। उनकी आवाज़ में न शिकायत थी, न ताना—बल्कि एक तरह की स्वीकारोक्ति थी कि लालू यादव अपने राज्य के लिए जो कर सकते थे, उन्होंने किया।
लालू जी जब रेल मंत्री बने, तो उन्हें पता था कि बिहार दशकों से विकास की दौड़ में पीछे रहा है। उन्होंने रेल मंत्रालय को एक मौका माना – अपने राज्य के लोगों की ज़िंदगी सुधारने का। और उन्होंने उस मौके को दोनों हाथों से पकड़ा।
कई नेता मंत्री बनते हैं, लेकिन अपने इलाकों के लिए कुछ खास नहीं कर पाते। मगर लालू जी ने जो किया, वो आज भी लोग याद करते हैं। उन्होंने नए रेल कारखाने, कोच फैक्ट्रियाँ, ट्रेनों के रूट और यहाँ तक कि रेलवे से जुड़ी नौकरियाँ भी बिहार की तरफ मोड़ीं। उनकी सोच साफ थी – “जब मैं रेल मंत्री हूँ, तो अपने बिहार को ही पहले फायदा क्यों न दूं?”
एक अधिकारी ने उन्हें एक बार कहा था कि फैक्ट्री किसी और राज्य में लगाई जाए क्योंकि वहाँ ज़मीन सस्ती है। लालू जी ने साफ मना कर दिया और कहा – “बिहार में भूख और बेरोज़गारी है, वहीं लगाओ फैक्ट्री।” उन्होंने समझदारी से, रणनीति से और हिम्मत से हर मौके का इस्तेमाल किया।
मधेपुरा में लोकोमोटिव फैक्ट्री, छपरा और समस्तीपुर जैसे इलाकों को नई ट्रेन सेवाएँ, और छोटी जगहों पर रेलवे से जुड़ी सुविधाएँ – ये सब उनके समय की देन हैं।
आज जब अश्विनी वैष्णव खुद संसद में ये कह रहे हैं कि लालू यादव सब कुछ बिहार ले गए, तो सवाल उठता है – बाकी सांसद क्या कर रहे हैं? खासकर JDU, BJP और LJP जैसे दलों के वे नेता जो सालों से संसद में बैठे हैं, उन्हें ये सुनकर शर्म आनी चाहिए।
उनमें से कितनों ने संसद में अपने इलाके के लिए जोरदार आवाज़ उठाई? कितनों ने मंत्रालय से अपने ज़िले के लिए कोई प्रोजेक्ट मांगा? ज़्यादातर सिर्फ कुर्सी से चिपके हुए हैं, मगर जनता के लिए कुछ हासिल करने की कोशिश ही नहीं करते।
लालू जी पर भले ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि वो अपने राज्य के लिए पूरी ताकत लगाते थे। आज भी जब बिहार के युवा रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों में भटकते हैं, तो लगता है – काश कोई नेता फिर से लालू जैसा होता।
अगर आज के सांसद थोड़ा भी आत्मसम्मान रखते हैं, तो उन्हें लालू यादव से सीखना चाहिए – कैसे मंत्री रहते हुए अपने राज्य के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाती है। सिर्फ पार्टी का झंडा उठाने और सोशल मीडिया पर फोटो खिंचवाने से विकास नहीं होता।
बिहार को फिर से उसी हिम्मत और साफ इरादों वाले नेता की ज़रूरत है, जो अपने राज्य के लिए कुछ करके दिखाए – बिना डरे, बिना रुके।








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