वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 आज राज्यसभा में पेश, सियासी घमासान जारी
- BMW News

- Apr 4
- 2 min read

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा, और यह इस समय देश की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इससे पहले, यह विधेयक लोकसभा में लंबी बहस के बाद पारित हुआ था। लोकसभा में इस पर करीब 12 घंटे तक चर्चा चली, जिसमें पक्ष और विपक्ष ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। आखिरकार, इस विधेयक को 288 सांसदों के समर्थन और 232 सांसदों के विरोध के साथ पास कर दिया गया। अब यह राज्यसभा में चर्चा और मतदान के लिए पेश किया जा रहा है। इस पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा दोपहर 1 बजे अपना भाषण देंगे, जिससे यह बहस और भी रोचक होने की संभावना है।
इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाना है। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार होगा, तकनीकी उपायों का इस्तेमाल किया जाएगा और जटिल कानूनी समस्याओं को दूर किया जा सकेगा। केंद्र सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों को अधिक प्रभावी बनाने और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को खत्म करने में मदद करेगा।
हालांकि, विपक्ष इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमलावर है। लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताई और इसे समुदाय विशेष के खिलाफ बताया। उनका कहना था कि इस कानून के माध्यम से सरकार वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया और विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक केवल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए लाया गया है और इसका किसी भी समुदाय के धार्मिक मामलों से कोई लेना-देना नहीं है। अमित शाह ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल इसे वोटबैंक की राजनीति के लिए मुद्दा बना रहे हैं और लोगों में बेवजह डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का इरादा केवल वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना और उसमें सुधार लाना है।
इस विधेयक को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं जो वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन में मदद करेगा, जबकि कुछ इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप मान रहे हैं। इस मुद्दे पर सियासी दलों के साथ-साथ मुस्लिम संगठनों की भी अलग-अलग राय है।
अब जब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जा रहा है, तो सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि वहां इसे कितना समर्थन मिलेगा। राज्यसभा में बीजेपी और सहयोगी दलों का बहुमत नहीं है, इसलिए वहां इसे पास कराने के लिए सरकार को अन्य दलों का समर्थन जुटाना होगा। अगर यह विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो जाता है, तो यह कानून बन जाएगा।
फिलहाल, संसद और देश के राजनीतिक गलियारों में इस विधेयक को लेकर गर्मागर्म बहस जारी है। सरकार इसे पारदर्शिता और सुधार का कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक साजिश करार दे रहा है। अब देखना होगा कि राज्यसभा में इस पर क्या रुख अपनाया जाता है और यह विधेयक पास होता है या नहीं।








Comments