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सुप्रीम कोर्ट में जीत के बाद सुनील सिंह का नीतीश कुमार पर जोरदार हमला

  • Writer: BMW News
    BMW News
  • Feb 27
  • 2 min read

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सुप्रीम कोर्ट से बिहार विधान परिषद में अपनी सदस्यता फिर से बहाल कराए जाने के बाद एमएलसी सुनील सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अब उन्हें कोई नहीं रोक सकता और वे फिर से किसानों, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे को सदन में उठाएंगे।


सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत


सुनील सिंह की सदस्यता पिछले साल सात महीने पहले रद्द कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उनके पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद वे विधान परिषद में अपनी सदस्यता फिर से प्राप्त करने में सफल रहे। इस फैसले के बाद पटना में राजद कार्यालय में पार्टी नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर सुनील सिंह ने लालू यादव, तेजस्वी यादव और अन्य पार्टी नेताओं का धन्यवाद किया, जिन्होंने इस संघर्ष में उनका समर्थन किया। उन्होंने खुद को राजद का "सिपाही" बताते हुए अपनी जीत का श्रेय उन्हें दिया।


नीतीश कुमार पर निशाना


सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल करने के बाद सुनील सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ एक शब्द कहने के कारण विधान परिषद से निष्कासित किया गया, जबकि नीतीश कुमार पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने दलित समाज के पूर्व मुख्यमंत्री के लिए भी गलत शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।





दमन और लोकतंत्र की हत्या


सुनील सिंह ने अपनी सदस्यता खत्म करने के फैसले को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लोकतंत्र को बचाया गया है। उनका आरोप था कि सिर्फ किसान, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को उठाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द की गई, जबकि नीतीश कुमार और उनके समर्थकों द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।


फिर से आवाज उठाने का संकल्प


सुनील सिंह ने यह स्पष्ट किया कि उन्हें कोई भी रोक नहीं सकता और वे लगातार किसानों, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि सदन में फिर से अपनी आवाज उठाएंगे और जनहित के मुद्दों पर काम करेंगे।एमएलसी सुनील सिंह की यह जीत न सिर्फ उनके लिए व्यक्तिगत राहत का कारण बनी है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत भी हो सकती है। उनकी कड़ी टिप्पणी और नीतीश कुमार पर हमले ने यह साफ कर दिया है कि वे अब भी अपने पुराने तेवरों में हैं और किसी भी हालत में जनहित के मुद्दों से पीछे नहीं हटेंगे।


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